Pages

Thursday, June 20, 2019

उसे भुलाया बहुत है

इस रंगीन दुनिया में ख़ुद को मैंने बहलाया बहुत है 
कई बार बैठ अकेले में, दिल को समझाया बहुत है ।
जिस की हर बात याद है ज़ुबानी मुझे आज भी 
क़सम से ता-उम्र उसे मैंने भुलाया बहुत है ।।

Credit- JASWINDER SINGH BAIDWAN

Monday, June 3, 2019

उधेड़ बुन

किसी की तल्ख़ी, किसी की शिकायत 
किसी का रह्मों-करम, और किसी की इनायत 
किसी से बेरुख़ी, और बेसुध किसी की धुन में ...
ख़ुद के लिए कभी एक पल नहीं जिया “JB”
किस के लिए जिएँ कैसे, बस गुज़र गई ज़िन्दगी सारी इसी उधेड़ बुन में ....।।