ना ग़लत वो थे ना हम,
बस हमारे हालात ग़लत होते गए
नियत उनकी भी थी सच्ची
हौंसला मेरा भी था पक्का
अपनी अपनी जगह तो सोच हम दोनों की थी सही
बस एक दूसरे के लिए हमारे ख़यालात ग़लत होते गए
ना ग़लत वो थे ना हम
बस हमारे हालात ग़लत होते गए
ना जाने वो थे ज़्यादा ही नादान
या डर मेरा ही बेवजह बढ़ता गया
मैंने जब तक सीखा शाँत होना
ग़ुस्सा उनका भी चढ़ता गया
मुद्दा तो हर बार सब कुछ सही करने का ही था
बस जज़्बात ग़लत होते गए
ना ग़लत वो थे ना हम
बस हमारे हालात ग़लत होते गए
जहाँ जाकर ख़त्म होता था रास्ता मेरा
मंज़िल उसकी भी वही थी
बेवज़ह मैंने नहीं टोका उसे कभी किसी बात पर
और हर मुद्दे पर हमेशा वो भी सही थी
बस थी ज़िद्द उन्हें ना जवाब देने की
और कुछ मेरे भी सवालात ग़लत होते गए
ना ग़लत वो थे ना हम
बस हमारे हालात ग़लत होते गए
Writer: Jaswinder Singh Baidwan
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