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Saturday, August 31, 2024

समझाया है हमने

भागते  रहे  उम्र भर पीछे ख़ुशी के 

मगर बिना शर्त अपनाया ग़म ने 

थक चुके थे समझा कर बार बार उन्हें  

फिर आख़िर ख़ुद के ही दिल को समझाया हमने  

Friday, August 30, 2024

दोबारा सामने से

एक तेरे दीदार से ही तेज़ हो जाती हैं साँसे 

कहीं थम ही ना जाएँ तेरा हाथ थामने से

है यक़ीन तुम्हें भी पहली नज़र के इश्क़ में 

या गुज़रूँ मैं 

एक बार फिर दोबारा सामने से ?

Thursday, August 22, 2024

घूसख़ोर दिल

यूँ तो कई सख़्त शिकायतें हैं दर्ज तेरे नाम पर मेरे दिल में 
मगर घूसख़ोर दिल मेरा 
कर देता है हर बार सब मामले रफ़ा दफ़ा 
इक तेरी मुस्कुराहट की रिश्वत पर 

Sunday, August 18, 2024

बेहतरीन शायर २

क्या क्या ज़ख़्म दिए हैं तूने 

और क्या क्या है एहसान तेरा 

बस इक तेरा नाम छुपाना सीख लूँ 

तो खुदा क़सम 

बेहतरीन शायरों में होगा नाम मेरा 

खुदा को यही मंज़ूर था

तू कुछ साथ तो दे 

मेरी गवाही तो भर 

ना मिले आख़िर 

तो कह देंगे हम भी 

कि ख़ुदा को यही मंज़ूर था 

Friday, August 16, 2024

चोट खाया परिंदा

भूल चुका हूँ उड़ान अपनी 

दिल नहीं बचा सिने में मगर ज़िंदा हूँ 

हुस्न की डाल पर नहीं बैठता अब मैं 

इश्क़ में चोट खाया परिंदा हूँ 

Monday, August 12, 2024

खुद से मुलाक़ात

आईने से कर बात कभी 

ख़ुद से कर मुलाक़ात कभी

क़िस्मत को कोसते जी रहा है

और मर जाएगा यूँ ही इक दिन रो रोकर 

क्यों रह गया है पीछे 

क्या कमियाँ है तुझमें 

हो खड़ा और 

मर्दों की तरह ख़ुद से कर स्वालात कभी 

आईने से कर बात कभी 

ख़ुद से कर मुलाक़ात कभी

Sunday, August 11, 2024

बचपन को तरसते हैं

बड़ी ही बेसब्री से करते रहे इंतज़ार जिसका बचपन में 

पहुँच कर उसी बेरहम जवानी में 

अब हम अपने बचपन को तरसते हैं

दुआ

जा माफ़ किया तुझे और देता हूँ दुआ 

आने वाले वक़्त में ख़ुदा तेरी औलाद को तेरे जैसे से बचाए

Saturday, August 10, 2024

बेहतरीन शायर

बेरहमी की सभी हदें कर दी हैं पार 

मेरा दिल तोड़ने में उसने  

लगता है बेहतरीन शायरों में होगा अब नाम मेरा 

Friday, August 9, 2024

गवाही

कैसे करूँ ब्याँ कि कितना  ग़ज़ब था अंदाज़--इल्ज़ाम उनका

कि ख़ुद के ही ख़िलाफ़ हँस कर गवाही दे दी हमने 

Saturday, August 3, 2024

वही इश्क़ कहानी

रोज़ लिखता हूँ नज़्म नई 

मगर वजह बस वही एक पुरानी है 

टूट कर चाहा जिसे तोड़ गया ग़रूर वही

अपनी भी यारों तुम्हारे जैसी ही वही इश्क़ कहानी है 

Friday, August 2, 2024

तुझे याद नहीं आती मेरी कोई बात नहीं

तुझे याद नहीं आती मेरी 

कोई बात नहीं

मुझे भी कहाँ अब मेरा ख़याल आता है 

क्यों छोड़ा तूने 

छोड़ा किसके लिये 

ये सब रह गया इक उम्र पीछे 

जब से घेरा है ज़िम्मेदारियों ने 

अब ज़हन में कहाँ 

ख़ुद के लिए कोई ख़याल आता है 

तुझे याद नहीं आती मेरी 

कोई बात नहीं