Poetry by Jaswinder Baidwan
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Thursday, August 22, 2024
घूसख़ोर दिल
यूँ तो कई सख़्त शिकायतें हैं दर्ज तेरे नाम पर मेरे दिल में
मगर घूसख़ोर दिल मेरा
कर देता है हर बार सब मामले रफ़ा दफ़ा
इक तेरी मुस्कुराहट की रिश्वत पर
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