Poetry by Jaswinder Baidwan
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Thursday, September 5, 2024
ज़िम्मेदारी है मेरी
तू कहता है क्या फ़रक पड़ा तो आ बताऊँ तुझे
कि ज़िंदगी में क्या अहमियत थी तेरी
तेरे जाने के बाद जो बच गया है
वो मैं नहीं, बस ज़िम्मेदारी है मेरी
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