Poetry by Jaswinder Baidwan
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Sunday, September 29, 2024
एकांत
जिस वक्त ने छीना है सब कुझ उसी वक्त ने बहुत सिखाया है मुझे भूल गया था किरदार अपना मैं इस भीड़ में अपनों की इस एकांत ने इंसान बनाया है मुझे
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