टेक लिए माथे सब जगह
पहन के देख लिए ताबीज़ सारे
फिर भी नज़रंदाजी तेरी घटती ही नहीं
मेरी समझ से बाहर है
ऐ सनम कौनसे जहाँ का खुदा है तू …
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