खुद ही मुजरिम खुद ही सजा मुक़र्रर करता हूँ
अजब सी कश्मकश है ऐ दोस्त
खुद ही करता हूँ पैरवी अपनी
और खुद के ही ख़िलाफ़ लड़ता हूँ
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