Friday, July 26, 2024

क़िस्मत

बड़ी अजब सी रही ज़िंदगी 

मैं सजाता हूँ ख़्वाब उम्र भर के 

और लोगों को छोड़ कर  जाने में पल भर की भी देरी नहीं लगती 

दुनिया कहती है  अपनी अपनी क़िस्मत होती है सबकी 

मुझे तो मेरी ये क़िस्मत भी 

सच में अब मेरी नहीं लगती 

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