रोज़ लिखता हूँ नज़्म नई
मगर वजह बस वही एक पुरानी है
टूट कर चाहा जिसे तोड़ गया ग़रूर वही
अपनी भी यारों तुम्हारे जैसी ही वही इश्क़ कहानी है
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