एक तेरे दीदार से ही तेज़ हो जाती हैं साँसे
कहीं थम ही ना जाएँ तेरा हाथ थामने से
है यक़ीन तुम्हें भी पहली नज़र के इश्क़ में
या गुज़रूँ मैं
एक बार फिर दोबारा सामने से ?
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