Sunday, September 29, 2024

एकांत

जिस वक्त ने छीना है सब कुझ उसी वक्त ने बहुत सिखाया है मुझे भूल गया था किरदार अपना मैं इस भीड़ में अपनों की इस एकांत ने इंसान बनाया है मुझे

Saturday, September 28, 2024

आजकल दोबारा ख़ुद में

कई बरस पहले जो हो गया था लापता कहीं ढूँढ रहा हूँ वो सक्ष मैं आजकल दोबारा ख़ुद में

Friday, September 27, 2024

किस किस के नज़रिए की

ख़ुद की नज़र में हूँ बेदाग़ तो काफ़ी है ए हजूर अब परवाह करूँ मैं किस किस के नज़रिए की ?

Thursday, September 26, 2024

खाली दिल भरी जैबें

वो अल्हड़पन और ख़ाली जैबों वाला दौर था हसीं दिल हो गया है ख़ाली जबसे जैबें लगा हूँ भरने

Saturday, September 21, 2024

ਹਿਸਾਬ ਕਿਤਾਬ

ਕੱਖ ਨਹੀਂ ਛੱਡਿਆ ਪੱਲੇ ਸਾਡੀ ਜੜਾਂ ਚ ਆ ਕੇ ਬਹਿ ਗਿਆ ਹੁਣ ਹਿਸਾਬ ਕਿਤਾਬ ਜਿਹਾ ਜੋੜੀ ਜਾਨੈ ਆ ਇਸ਼ਕ ਭੈੜਾ ਸਾਥੋਂ ਕਿ ਕਿ ਖੋਹ ਕੇ ਲੈ ਗਿਆ

Tuesday, September 17, 2024

सभी शायर शहर के

सुना है वो काट रहा है ज़िंदगी आजकल अकेले किसी दौर में जिसे अपने हुस्न पर बड़ा गुमान था मुझ जैसे कई लगाते थे चक्कर उसके अरे वही श्य जिसका नुक्कड़ पर सबसे बड़ा मकान था शहर में जीतने भी है आज तमाम शायर अरे नादानों ये उसी की तो ठोकरों का अहसान था

Sunday, September 15, 2024

वक़्त किसी के बाप की जागीर नहीं

जिम्मेवारियाँ देती हैं सुधार बिगड़ी औलादों को ये वक़्त किसी के भी बाप की जागीर नहीं

Thursday, September 12, 2024

मन की किताब

आए हो निकालने ग़लतियाँ तो रहने दो विद्वान साहब चाहते हो समझना मुझे तो आओ बैठो पढ़ो तस्सली से

Tuesday, September 10, 2024

नज़रअंदाज़

तुम क्या करोगे नजरअंदाज मुझे मैं तो एक अरसे से छोड़ चुका हूँ ख़ुद से भी बात करना

Monday, September 9, 2024

हकीम कौन है

खिल रही है तबियत दिन ब दिन तेरे दीदार से पूछते हैं लोग के हकीम कौन है

Saturday, September 7, 2024

मसला सुकून का

यूँ तो ना कोई दावेदारी तुझपर ना तुझसे कोई रिश्ता है खून का तुझे देख के जो मिलता है रूह को बस मसला है सारा उसी कमबख़्त सुकून का

Thursday, September 5, 2024

ज़िम्मेदारी है मेरी

तू कहता है क्या फ़रक पड़ा तो आ बताऊँ तुझे 
कि ज़िंदगी में क्या अहमियत थी तेरी 
तेरे जाने के बाद जो बच गया है 
वो मैं नहीं, बस ज़िम्मेदारी है मेरी 

Saturday, August 31, 2024

समझाया है हमने

भागते  रहे  उम्र भर पीछे ख़ुशी के 

मगर बिना शर्त अपनाया ग़म ने 

थक चुके थे समझा कर बार बार उन्हें  

फिर आख़िर ख़ुद के ही दिल को समझाया हमने  

Friday, August 30, 2024

दोबारा सामने से

एक तेरे दीदार से ही तेज़ हो जाती हैं साँसे 

कहीं थम ही ना जाएँ तेरा हाथ थामने से

है यक़ीन तुम्हें भी पहली नज़र के इश्क़ में 

या गुज़रूँ मैं 

एक बार फिर दोबारा सामने से ?

Thursday, August 22, 2024

घूसख़ोर दिल

यूँ तो कई सख़्त शिकायतें हैं दर्ज तेरे नाम पर मेरे दिल में 
मगर घूसख़ोर दिल मेरा 
कर देता है हर बार सब मामले रफ़ा दफ़ा 
इक तेरी मुस्कुराहट की रिश्वत पर 

Sunday, August 18, 2024

बेहतरीन शायर २

क्या क्या ज़ख़्म दिए हैं तूने 

और क्या क्या है एहसान तेरा 

बस इक तेरा नाम छुपाना सीख लूँ 

तो खुदा क़सम 

बेहतरीन शायरों में होगा नाम मेरा 

खुदा को यही मंज़ूर था

तू कुछ साथ तो दे 

मेरी गवाही तो भर 

ना मिले आख़िर 

तो कह देंगे हम भी 

कि ख़ुदा को यही मंज़ूर था 

Friday, August 16, 2024

चोट खाया परिंदा

भूल चुका हूँ उड़ान अपनी 

दिल नहीं बचा सिने में मगर ज़िंदा हूँ 

हुस्न की डाल पर नहीं बैठता अब मैं 

इश्क़ में चोट खाया परिंदा हूँ 

Monday, August 12, 2024

खुद से मुलाक़ात

आईने से कर बात कभी 

ख़ुद से कर मुलाक़ात कभी

क़िस्मत को कोसते जी रहा है

और मर जाएगा यूँ ही इक दिन रो रोकर 

क्यों रह गया है पीछे 

क्या कमियाँ है तुझमें 

हो खड़ा और 

मर्दों की तरह ख़ुद से कर स्वालात कभी 

आईने से कर बात कभी 

ख़ुद से कर मुलाक़ात कभी

Sunday, August 11, 2024

बचपन को तरसते हैं

बड़ी ही बेसब्री से करते रहे इंतज़ार जिसका बचपन में 

पहुँच कर उसी बेरहम जवानी में 

अब हम अपने बचपन को तरसते हैं

दुआ

जा माफ़ किया तुझे और देता हूँ दुआ 

आने वाले वक़्त में ख़ुदा तेरी औलाद को तेरे जैसे से बचाए

Saturday, August 10, 2024

बेहतरीन शायर

बेरहमी की सभी हदें कर दी हैं पार 

मेरा दिल तोड़ने में उसने  

लगता है बेहतरीन शायरों में होगा अब नाम मेरा 

Friday, August 9, 2024

गवाही

कैसे करूँ ब्याँ कि कितना  ग़ज़ब था अंदाज़--इल्ज़ाम उनका

कि ख़ुद के ही ख़िलाफ़ हँस कर गवाही दे दी हमने 

Saturday, August 3, 2024

वही इश्क़ कहानी

रोज़ लिखता हूँ नज़्म नई 

मगर वजह बस वही एक पुरानी है 

टूट कर चाहा जिसे तोड़ गया ग़रूर वही

अपनी भी यारों तुम्हारे जैसी ही वही इश्क़ कहानी है 

Friday, August 2, 2024

तुझे याद नहीं आती मेरी कोई बात नहीं

तुझे याद नहीं आती मेरी 

कोई बात नहीं

मुझे भी कहाँ अब मेरा ख़याल आता है 

क्यों छोड़ा तूने 

छोड़ा किसके लिये 

ये सब रह गया इक उम्र पीछे 

जब से घेरा है ज़िम्मेदारियों ने 

अब ज़हन में कहाँ 

ख़ुद के लिए कोई ख़याल आता है 

तुझे याद नहीं आती मेरी 

कोई बात नहीं

Monday, July 29, 2024

रसूख़

कहते हैं वो बिगाड़ के रख देंगे रसूख़ तेरा 

नीव है खोखली जिनके किरदारों की 

तू पढ़कर खुद ही तय कर ले ऐ सनम

वफ़ा 

बेवफ़ाई 

ज़िम्मेवारी या तौहमतें

तू पढ़कर खुद ही तय कर ले सनम  

मैं नहीं जानता क्या अर्थ हैं मेरी लिखी कविताओं के

Saturday, July 27, 2024

कच्ची उम्र के कुछ तजुर्बे

कुछ बातों से रहें अनजान तो ही है बेहतर 

कच्ची उम्र के कुछ तजुर्बे 

ज़िंदगी भर तकलीफ़ देते हैं 

Friday, July 26, 2024

क़िस्मत

बड़ी अजब सी रही ज़िंदगी 

मैं सजाता हूँ ख़्वाब उम्र भर के 

और लोगों को छोड़ कर  जाने में पल भर की भी देरी नहीं लगती 

दुनिया कहती है  अपनी अपनी क़िस्मत होती है सबकी 

मुझे तो मेरी ये क़िस्मत भी 

सच में अब मेरी नहीं लगती 

Tuesday, July 23, 2024

किरदार

ठोकरें भी मिलेंगी 

धोखे भी मिलेंगे 

लुट जाएगा सब कुछ 

और कुछ मौक़े भी मिलेंगे 

टूट कर बिखर जाओ चाहे

मगर इरादों में आग मचाए रखना 

तमाशे तो चलते ही रहेंगे उम्र भर दोस्त 

बस तुम अपना किरदार बचाए रखना 

Thursday, July 18, 2024

तेरा नाम पढ़कर

मुशायरा था हुस्न पर 

और सारी महफ़िल लूट ले गए हम

बसतेरा नामपढ़कर 

Friday, July 12, 2024

खुद ही मुजरिम

खुद ही मुजरिम खुद ही सजा मुक़र्रर करता हूँ 

अजब सी कश्मकश है दोस्त 

खुद ही करता हूँ पैरवी अपनी 

और खुद के ही ख़िलाफ़ लड़ता हूँ 

Thursday, July 11, 2024

कौनसे जहाँ का खुदा है तू …

टेक लिए माथे सब जगह 

पहन के देख लिए ताबीज़ सारे 

फिर भी नज़रंदाजी तेरी घटती ही नहीं 

मेरी समझ से बाहर है 

सनम कौनसे जहाँ का खुदा है तू

Thursday, July 4, 2024

उस्ताद तेरा

दात देते हैं तेरी नज़रंदाजी के हुनर को 

उस्ताद तेरा ज़रूर कोई दिलजला होगा 

तजुर्बा

कुछ ना मिला इश्क़ से हमें

बस इक तजुर्बे के सिवा 

ज़िम्मेदारी

मैं खुद ही ले लेता हूँ ज़िम्मेवारी सारी

हमारे रिश्ते के हषर की

तू खुद को बेवज़ह बेक़सूर साबित ना कर 


ज़िंदगी मौत

ज़िंदगी सफ़र है ठोकरों का 

दोस्त ! गले तो आख़िर मौत ही लगाएगी 

अधूरा तेरे जाने के बाद

तुझे मिलने से पहले भी अकेला ही था मैं

ना जाने अब क्यूँ हो गया हूँ अधूरा तेरे जाने के बाद

Wednesday, July 3, 2024

सिखा रहा है हमें

कैसे भरनी है उड़ान सिखा रहा है हमें 

जो खुद क़ैद है पिंजरे में

Saturday, June 29, 2024

बोलता कम ही हूँ मैं

बोलता कम ही हूँ में 

लेकिन याद रखना 

बोलूँगा जिस भी महफ़िल में 

पूरा माहौल उठा के रख दूँगा 

इश्क़ की तहज़ीब

आशिक़ भी हो 

और उलझे हुए हो गिले शिकवों में 

इश्क़ की तहज़ीब से आप वाक़िफ़ नहीं जनाब

Friday, June 28, 2024

Chinese product है मोहब्बत

हो सकता है ना चले दो दिन भी 

और चलने को चल जाए उम्र भर 

कोई नहीं Guarantee

अरे भाई Chinese product है मोहब्बत

Wednesday, June 26, 2024

तेरा ख़याल भी

तेरा ख़याल भी अख़बार सा है

रोज़ सुबह ही चला आता है 

अब वो पैनापन ना रहा

लगता है उन्हें भी उनकी औक़ात दिखा गया है कोई 

बेरुख़ी में उनकी अब वो पैनापन ना रहा

Tuesday, June 25, 2024

तेरे बस की बात नहीं

चिल्लाता था मैं अक्सर 

कि किसी तरह तो तुझे मेरे दर्द का एहसास हो 

अब हो गया हूँ ख़ामोश

इल्म हुआ जब से 

कि ये तेरे बस की बात नहीं 

ਕਰਜ਼ਾਈ

ਮੇਰੇ ਹਰ ਇਹਸਾਸ ਨੂੰ ਕਾਗਜ਼ ਉੱਤੇ ਸੰਜੋਇਆ ਜਿਹਨੇ 
ਤੇਰੀ ਦਿੱਤੀ ਇਸ ਪੀੜ ਦਾ ਜਨਮਾਂ ਲਈ ਕਰਜ਼ਾਈ ਹਾਂ ਮੈਂ 

हर पन्ना कोरा ही रहता

आज लिखता हूँ मैं जो भी

है एहसान तेरा 

ना छोड़ता जो तू साथ मेरा 

हर पन्ना कोरा ही रहता 



ਖਾਤਾ ਇਸ਼ਕ ਦਾ

100 ਚੋ 99 ਰੁਲਦੇ ਮਿੱਟੀ  

ਕੋਈ ਇੱਕ ਅੱਧਾ ਲਿਸ਼ਕਦਾ 

ਕਿੰਨ੍ਹੇ ਲੁਟੇ ਕਿੰਨ੍ਹੇ ਉੱਜੜੇ ਹਿਸਾਬ ਨੀ ਲੱਗਣਾ 

ਕਮਲਿਆ ਖਾਤਾ ਬੜਾ ਪੁਰਾਣਾ  ਇਸ਼ਕ ਦਾ

और किसी की ये औक़ात ना थी

हर कमी मेरी से था तू वाक़िफ़ 

तुझसे पर्दे की कोई बात ना थी 

बस एक तू ही तोड़ सकता था मुझे 

सनमऔर किसी की ये औक़ात ना थी

ਇਹ ਹੋਰ ਕਿਸੇ ਦੇ ਵੱਸ ਦੀ ਗੱਲ ਨਹੀਂ ਸੀ

ਰੂਹ ਤੋਂ ਸੀ ਅਸੀਂ ਮੁਰੀਦ ਤੇਰੇ 
ਵੇ ਸੱਜਣਾ ਉਹ ਕੋਈ ਜਵਾਕਾਂ ਵਾਲੀ ਝੱਲ ਨਹੀਂ ਸੀ  ਇੱਕ ਤੂੰ ਹੀ ਤੋੜ ਸਕਦਾ ਸੀ ਬਸ ਮੈਨੂੰ 
ਇਹ ਹੋਰ ਕਿਸੇ ਦੇ ਵੱਸ ਦੀ ਗੱਲ ਨਹੀਂ ਸੀ 

Saturday, June 22, 2024

वफ़ा की ज़िंदा मिसाल

उम्र भर रहा मैं भागता तुझसे 

फिर भी आख़िर गले लगाएगी 

मौत वफ़ा की ज़िंदा मिसाल है तू 

Friday, June 21, 2024

इश्क़ करने चले हो बर्खुरदार ?

इश्क़ करने चले हो बर्खुरदार ?

महँगा और बड़ी हैसियत वालों का बाज़ार है 

सभी जेबें ज़रा अच्छे से भरकर जाना 


Call

Call क्यूँ नहीं की 

से 

Call क्यूँ की 

तक का सफ़र बेमिसाल रहा

उसने तो बस एक दिल तोड़ा था

दिल, ख़्वाब, ख़ुशियाँ, ग़रूर ….


हम खुद हैं ज़िम्मेवार सब कुछ टूटने के 

उसने तो बस एक रिश्ता ही तोड़ा था 


लफ़्ज़ों की चोट

लगता है लफ़्ज़ों की चोट से आप नहीं हैं वाक़िफ़ जनाब 

ये ज़रूरी नहीं कि हर आग चिराग़ से ही लगी हो

किसी और ने

इस कदर वो जो रूठ गए हैं हमसे 

लगता है किसी और ने मना लिया उसे 

Wednesday, June 19, 2024

ख़ामोश इक अरसे से

बेइम्तिहाँ शोर है मेरे अंदर यारों

मैं यूँ हीं नहीं ख़ामोश इक अरसे से

अदाएं बेरुख़ी की

सीख ली हैं अदाएं हमने भी बेरुख़ी की सारी

कोई लाख भरे आहें, अब ये दिल नहीं झुकता 

नशेडी

अगर इश्क़ एक नशा है 

तो खुदा क़सम मुझसे बड़ा कोई नशेड़ी नहीं 

खुद डुबा बैठे

तूफ़ाँ जा अब कर आराम 

हम अपनी कश्ती खुद डुबा बैठे 

बिकाऊ नहीं

उसकी बस एक झलक ने ख़रीद लिया मुझे 

और हमें ग़रूर था बड़ा की हम बिकाऊ नहीं 

मुक्कमल इश्क़

रुसवा होकर निकल गए हम महफ़िल से 

जैसे ही छेड़ दिया किसी ने ज़िक्र मुक्कमल इश्क़ का